डॉ. सी. वी. रमन: संक्षिप्त जीवन परिचय और विज्ञान में योगदान I डॉ. रमन को समर्पित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर रोचक Quiz

 डॉ. सी. वी. रमन: संक्षिप्त जीवन परिचय और विज्ञान में योगदान

डॉ. सी. वी. रमन: संक्षिप्त जीवन परिचय और विज्ञान में योगदान


नाम: डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन (सी. वी. रमन)
जन्म: 7 नवंबर, 1888, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु: 21 नवंबर, 1970, बैंगलोर, कर्नाटक, भारत
उपलब्धि: नोबेल पुरस्कार (1930), भारत रत्न (1954)


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

डॉ.सी. वी. रमन का जन्म एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता एक भौतिकी और गणित के शिक्षक थे, जिससे उन्हें विज्ञान के प्रति प्रारंभिक रुचि मिली। रमन ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1907 में भौतिकी में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।

उन्होंने सरकारी नौकरी की, लेकिन विज्ञान के प्रति उनका प्रेम उन्हें शोध कार्य की ओर ले गया। 1917 में, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य करना शुरू किया।


विज्ञान में योगदान:

डॉ. सी. वी. रमन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान "रमन प्रभाव" (Raman Effect) की खोज है, जिसके लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। यह खोज उन्होंने 28 फरवरी, 1928 को की थी, जिसे अब "राष्ट्रीय विज्ञान दिवस" के रूप में मनाया जाता है।

  • रमन प्रभाव क्या है?
    जब प्रकाश किसी पारदर्शी पदार्थ (जैसे पानी, कांच, या हवा) से गुजरता है, तो उसकी कुछ ऊर्जा अणुओं से टकराकर प्रकाश की तरंगदैर्ध्य (wavelength) को बदल देती है। इस घटना को "रमन प्रभाव" कहा जाता है। यह खोज अणुओं और परमाणुओं की संरचना को समझने में मददगार साबित हुई।
  • अन्य योगदान:
    • उन्होंने ध्वनि विज्ञान (acoustics) और प्रकाश विज्ञान (optics) पर भी महत्वपूर्ण शोध किया।
    • उन्होंने भारत में वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की।

पुरस्कार और सम्मान:

  • नोबेल पुरस्कार (1930): भौतिकी में नोबेल पुरस्कार पाने वाले वे पहले एशियाई और भारतीय वैज्ञानिक थे।
  • भारत रत्न (1954): भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
  • लेनिन शांति पुरस्कार (1957): विज्ञान और शांति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विरासत:

डॉ. सी. वी. रमन ने हमेशा वैज्ञानिक शोध को सरल और सुलभ बनाने पर जोर दिया। उनका मानना था कि विज्ञान का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। उन्होंने भारत में वैज्ञानिक संस्कृति को बढ़ावा दिया और युवाओं को विज्ञान के प्रति प्रेरित किया।

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